डोईवाला-कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से जहां सोशल मीडिया व अन्य जगह अच्छी जानकारियां दी जा रही है तो वही मुर्गियों एवं अंडा खाने के बारे में भी भ्रामक जानकारियां दी जा रही हैं।
जबकि इस तरह की भ्रामक जानकारियां देने से प्रदेश का छोटा किसान जो पोल्ट्री फार्म का कार्य कर रहा है ।उस किसान के सामने आर्थिक संकट आन पड़ा है और वह अपना बैंकों से लिया हुआ कर्ज भी चुकाने में असमर्थ है जबकि अभी तक पूरे विश्व भर में जो जानकारियां सामने आ रही हैं तो करोना वायरस मानव से मानव में ही संक्रमित होने की जानकारी मिली है कहीं पर भी किसी मुर्गी या अन्य से संक्रमित होने की जानकारी नहीं मिली है।
लेकिन अफवाहें गर्म होने के कारण पोल्ट्री फार्म का कार्य करने वाला छोटा किसान आज परेशान और कर्ज में डूबने की कगार पर है आज प्रति किलो मुर्गा का रेट 20 से ₹25 किलो जा रहा है जबकि इसमें लागत ही ₹100 से अधिक आ रही है वही मिट व्यापारी 20 से ₹25 किलो खरीद कर जनता को 120 से अधिक रुपए किलो में मीट बेचकर जहां चांदी काट रहे हैं तो वहीं किसान निरास बैठा है और सरकार भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है ।
पोल्ट्री किसान से जुड़े किसान नेता उमेद बोरा ने बताया कि सरकार के नुमाइंदे जहां मीट व्यापारियों के साथ बैठके कर कर रहे हैं लेकिन किसानों की समस्या को कोई नहीं सुन रहा है किसान को जहां पहले बारिश और ओले ने नुकसान पहुंचाया तो वही झूठी अफवाहें अब पोल्ट्री किसानों को नुकसान पहुंचा रही है और सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है जबकि उत्तर प्रदेश में सरकार द्वारा बकायदा निर्देश जारी किए गए हैं कि पोल्ट्री उद्योग से कोरोनावायरस के संबंध में कोई खतरा नहीं है
लेकिन उत्तराखंड की सरकार ना ही इस संबंध में कोई आदेश जारी कर रही है और ना ही उसके नुमाइंदे पोल्ट्री उद्योग से जुड़े किसानों का हित देख रहे हैं ।
उमेद बोरा ने कहा कि सरकार को चाहिए कि पोल्ट्री उद्योग का कार्य करने वाले किसानों का मनोबल बढ़ाएं और उनके हित का ध्यान रखें।
उमेद बोरा ने कहा कि स्लॉटरहाउस ना होने के बावजूद भी जहां लगातार मुर्गे बकरे कट रहे हैं जिसमें हाईकोर्ट ने भी अपने आपत्ति दर्ज कराई है उन पर तो ध्यान दिया जा रहा है लेकिन पोल्ट्री उद्योग से जुड़े हुए किसानों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।जो कि गलत है और किसान विरोधी कदम है।