सवाल - क्या कभी बदलेगी सरकारी स्कूलों की सूरत

 डोईवाला

 मुख्यमंत्री और प्रदेश के शिक्षा मंत्री लगातार सरकारी स्कूलों की सूरत और सीरत सुधारने में लगे हैं मगर स्कूल संचालक है कि इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हो और बदनामी सरकार को झेलनी पड़ती है। 



और अन्य राज्यों से आकर मंत्री हमारे स्कूलों  की हालत पर खिल्ली  उड़ा रहे हैं । ऐसा हो भी क्यों ना अगर हम  ही उन्हें मौका दे  रहे हैं।


ताजा मामला बुल्लावाला इनटर कॉलेज में देखने को मिला जहां गणतंत्र दिवस के दिन विद्यालय के बच्चों को भरी ठंड में जमीन पर घंटों  बिठाए रखा गया।


 अब सवाल यह उठता है क्या इतने बड़े  सरकारी विद्यालय के पास बच्चों को बिठाने के लिए दरी तक का भी इंतजाम नहीं है या फिर इन गांव के भविष्य को दरिया होने के बावजूद बैठने के लिए नहीं दी जाती है ।


यह तो एक जांच का विषय है लेकिन बड़ा सवाल यह उठता है कि वह अध्यापक जो अपने छात्रों को अपने बच्चों की तरह  मानकर  शिक्षा ग्रहण करने की बात करते हैं क्या वह वाकई में अपने बच्चों को ठंड में इतनी देर जमीन पर बिठा सकते थे यह सिर्फ दिखाने के लिए ही स्कूल के छात्रों को अपनापन  दिखाया जाता है और वास्तव में जो तस्वीरें बयां कर रही है वह कई सवाल स्कूल प्रबंधन पर खड़े करती है।


 अब देखना यह होगा कि क्या जिम्मेदार अधिकारी इस मामले का संज्ञान लेकर दोषी लोगों पर कार्रवाई करते हैं या फिर बच्चों पर दबाव बनाकर इस मामले को रफा-दफा करने का प्रयास करते हैं।


 लेकिन सत्य तो यही है जब तक विद्यालय के अध्यापक विद्यालय को आदर्श विद्यालय बनाने की ओर दिल से कोशिश नहीं करेंगे तब तक सरकार चाहे कितनी कोशिश कर ले आदर्श विद्यालय नहीं बन पाएंगे और सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के बीच जो बढ़ती खाई है वह बढ़ती चली जाएगी और कुछ समय बाद सरकारी विद्यालय से लोग कन्नी काटते दिखाई देंगे।